tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post4941674135239691349..comments2023-12-26T21:51:11.012+05:30Comments on नई बात: महापुरुष का कथन और पराजित प्रेमचन्दनhttp://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-3154999606454220142009-12-14T12:53:09.062+05:302009-12-14T12:53:09.062+05:30Surajji!!!!! Very well done,while reading your com...Surajji!!!!! Very well done,while reading your composition i was lost somewhere else... "Aise hum jude ki nikalana bina kharoch k sambhav na tha"..ye ek marmik sachai hai jise hum sab apnane se darte hain. Thts was very catchy & very emotional......<br /><br />Shashibhushanji!!!!! I agree with the format u had presented, it definitly changes the presentation but not the feelings....<br /><br />Chandanji!!!!! thanks for letting us read such terrific composition......Aparna Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01867646287175225582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-50222127633498562732009-12-14T11:37:47.518+05:302009-12-14T11:37:47.518+05:30बहुत सुन्दर कविता है. सूरज को बधाई और प्रस्तुति ...बहुत सुन्दर कविता है. सूरज को बधाई और प्रस्तुति के लिए आपको धन्यवाद.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-46870596359257673452009-12-13T21:22:49.110+05:302009-12-13T21:22:49.110+05:30कविता बहुत अच्छी है, सूरज जी। बधाई। आपकी दूसरी कवि...कविता बहुत अच्छी है, सूरज जी। बधाई। आपकी दूसरी कवितायें भी दुबारा पढी। <br />चन्दन जी, आपकी नई कहानी कब पढ़ने को मिलेगी? या कि फुलटाईम ब्लॉगर हो गये आप भी?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07379066332814773774noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-16815465151670583042009-12-12T23:12:18.886+05:302009-12-12T23:12:18.886+05:30भाई सूरज, भावनाएं तो सभी के पास होती हैं, लेकिन उन...भाई सूरज, भावनाएं तो सभी के पास होती हैं, लेकिन उनमे से कुछ ख़ास का चुनाव करके शब्दों की ऐसी कारीगरी शायद सभी नहीं कर पाते. आप के इस प्रयास के लिए (जो शायद हर बार सायास न की गयी हो) बहुत बहुत बधाई. आपकी और भी कविताओं को (जो चन्दन भाई ने ब्लॉग पर डाला है) पढ़ा, लेकिन अपनी बात अभी कह पा रहा हूँ. आपकी सभी कविताएँ अनुभवों के पर्याप्त विश्लेषण के बाद बन पायी हैं. ऐसी कविताओं का संकलन ज़रूरी है, अगर आपके लिखने की प्रक्रिया जारी है तो उसे और भी तेज करिए और हिंदी पत्रिकाओं को कुछ अच्छी सामग्री मुहैया कराइए. . . .<br /><br />श्रीकान्तShrikant Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/01513859980174577373noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-68222980655839779172009-12-10T12:20:50.170+05:302009-12-10T12:20:50.170+05:30प्रभावित किया आपकी अभिव्यक्ति ने.
आपके ब्लॉग पर आन...प्रभावित किया आपकी अभिव्यक्ति ने.<br />आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-5479913069605350352009-12-09T22:55:55.995+05:302009-12-09T22:55:55.995+05:30उद्धव यार कैसे हो तुम दोनो? ब्लॉग के सहारे तुमसे म...उद्धव यार कैसे हो तुम दोनो? ब्लॉग के सहारे तुमसे मुलाकात हो गई। मेरा ई मेल है-chandanpandey1@gmail.com इस पर अपना फोन नम्बर छोड़ दो। प्रभा तुम्हे याद कर रहे थे। <br />ये वही सूरज है।चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-36458918306155008562009-12-09T19:28:02.974+05:302009-12-09T19:28:02.974+05:30बहुत सुंदर कविता है.गाढ़ी.अपनी अनुभूतियों सी.अंतस ...बहुत सुंदर कविता है.गाढ़ी.अपनी अनुभूतियों सी.अंतस में घुलती रहनेवाली.हार्दिक बधाई.<br />चंदन,एक गुस्ताखी की है.बुरी लगे तो माफ़ करना.कविता की पंक्तियों को केवल जमाने की कोशिश की है.रोका था खुद को कि अनधिकार चेष्टा है.पर कविता ने ही मजबूर किया.कविता को एक बार ऐसे देखिए तो.<br /><br /> <br />मैं किसी ईश्वर की तलाश में हूँ<br /><br />जिस किसी ने कहा-ईमानदार स्वप्न देखने वालों की मदद <br />चाँद तारे आदमी आकाश सूरज बयार सब करते हैं<br />गलत कहा <br /><br />प्रेम करते हुए मुझे अपनी प्रेमिका से भी यह आशा थी <br />आशा ही रही <br />औरों की तो बात क्या?<br /> <br />तुम्हे खोने के डर से थरथराता रहा <br />और तुम थी कि मुट्ठी की रेत थी <br />डर था मेरे स्वप्न को बेईमान कह दिया जायेगा <br />और तुम वो पहली थी.<br /><br />तुम थी ही कब यह बताना कठिन है <br />पर जब थी मैने ठान रखा था <br />तुम्हारे होठों के संतरें वाले रँग <br />मैं कौमी रंग बनाउंगा <br />उन संतरों के बाग मशहूर हो जायेंगे <br />और मेरी प्यास अमिट. <br /><br />मेरी अमिट प्यास की खातिर मेरे स्वप्न के भव्य चेहरे पर लम्बी नीली नदी का दिखता हुआ मखमली टुकड़ा है.<br />(बाकी बची नस सरस्वती की तरह ओझल)<br />(ठान अब भी वही है और तुम ‘अब भी’ हो)<br /><br />हम ऐसे जुड़े कि निकलना बिना खरोंच के सम्भव ना था <br />अपनी खरोंच से पहले यह मानना नामुमकिन था कि आत्मा से खून रिसता है <br /><br />तुम्हे मेरी आवाज से डरने की कोई वजह नहीं <br />जैसे मेरे लिये तुम्हारी खुशी से विलग कोई मकसद नहीं<br /><br />डर है तुम्हे बजती हुई मेरी नवासी चुप्पियाँ ना सुनाई पड़ें.<br /><br />एक कम नब्बे की संख्या, एक जिप्सी, एक बस और एक ही रात क्या खुद प्रेम को पराजित होने के लिये इन सबका ही इंतजार था?<br /><br />पसन्द नापसन्द के बीच कोई झूला नहीं होता <br />कोई कविता नहीं आई मुझे बचाने<br />सूरज देर से निकला<br />मैने नींद से टूट जाने की प्रार्थना भी की.<br /><br />प्रेम मकसद है पूरा का पूरा<br />पर खरोंच भी एक गझिन काम है दुख देता हुआ <br />समुद्र सी फेनिल यादें <br />दरका हुआ आत्मविश्वास <br />मांगता है<br />कुछ अजनबी ईंट,<br />अपना ही रक्त,<br />और उम्र से लम्बी उम्र...शशिभूषणhttp://www.hamariaavaaz.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-53817977427743373622009-12-09T18:27:03.636+05:302009-12-09T18:27:03.636+05:30बहुत अच्छी कविता। देर तक याद रह जाने वाली।बहुत अच्छी कविता। देर तक याद रह जाने वाली।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-76719437799563143792009-12-09T17:54:31.020+05:302009-12-09T17:54:31.020+05:30सूरज जी, कविता कुछ भावुक बन गई है। नवासी चुप्पियाँ...सूरज जी, कविता कुछ भावुक बन गई है। नवासी चुप्पियाँ? <br />फिर भी अभिव्यक्ति शानदार है। आप अपनी कविताओं को किसी साहित्यिक पत्रिका में भेजिये हाथो हाथ लिये जायेंगे। आप बड़ा काम कर रहें हैं।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/13411169240505553630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-43487895818728674552009-12-09T17:03:32.261+05:302009-12-09T17:03:32.261+05:30पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति मित्र।पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति मित्र।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/13877549978096581036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-52682131113529654402009-12-09T14:34:31.065+05:302009-12-09T14:34:31.065+05:30बहुत सुन्दर कविता सूरज जी। आप अपने नाम के हिसाब से...बहुत सुन्दर कविता सूरज जी। आप अपने नाम के हिसाब से चमक रहे हैं। पर प्रेम मे सुख की कवितायें लिखिये जैसे आपकी पहली कविता थी। <br /><br />चन्दन भइया, क्या ये वही सूरज जी हैं जो पिछले साल संकट मोचन संगीत समारोह मे आपके और प्रभा भइया के साथ थे? अगर वही है तब तो बहुत अच्छा है।रहिमनhttps://www.blogger.com/profile/02347140143324352847noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-42993393307810740012009-12-09T13:37:45.823+05:302009-12-09T13:37:45.823+05:30अपनी भावनाओ को बहुर सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।अपनी भावनाओ को बहुर सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-84211280462579326712009-12-09T09:13:04.296+05:302009-12-09T09:13:04.296+05:30प्रेम मकसद है पूरा का पूरा/ पर खरोंच भी एक गझिन का...प्रेम मकसद है पूरा का पूरा/ पर खरोंच भी एक गझिन काम है/ दुख देता हुआ/ समुद्र सी फेनिल यादें/ दरका हुआ आत्मविश्वास/ मांगता है<br />कुछ अजनबी ईंट,<br />अपना ही रक्त,<br />और उम्र से लम्बी उम्र।<br />******* क्या कह दिया आपने सूरज जी? कितना कुछ ताजा हो आया. सम्भालिये अपने आप को अगर यह सच है और झूठ हो तो कृपा करके ऐसे झूठ न लिखे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01800493216298135671noreply@blogger.com