tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post5032031788617192759..comments2023-12-26T21:51:11.012+05:30Comments on नई बात: महेश वर्मा की छ: नई कविताएँचन्दनhttp://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-38798427067369629302012-06-12T19:46:52.320+05:302012-06-12T19:46:52.320+05:30महेश सभी कविताएँ अच्छी लगीं, पर "चंदिया स्टेश...महेश सभी कविताएँ अच्छी लगीं, पर "चंदिया स्टेशन की सुराहियाँ प्रसिद्ध हैं "ख़ास अच्छी लगी.अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-39701538004197951032011-09-01T16:11:13.055+05:302011-09-01T16:11:13.055+05:30सुन्दर हैं. :-)सुन्दर हैं. :-)बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-53742468318231434752011-07-02T11:08:36.245+05:302011-07-02T11:08:36.245+05:30सुन्दर कविताएँ हैं.सुन्दर कविताएँ हैं.pramodhttps://www.blogger.com/profile/06619358247273882250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-42970769613007779012011-07-01T23:15:14.982+05:302011-07-01T23:15:14.982+05:30के एम त्रिवेदी,
आपकी मजबूरी समझ नहीं आई कि आपने ...के एम त्रिवेदी, <br /><br />आपकी मजबूरी समझ नहीं आई कि आपने अपना नाम क्यों छुपाया ? कोई परेशानी है क्या ?<br /><br />अभी भी आपका कोई प्रोफाईल नहीं दिख रहा है. कोई भी छद्म प्रोफाईल बनाकर ऐसी बातें कर सकता है जो अपनी कुंठा और डर आदि के कारण सामने नहीं कह पाता. <br /><br />चूकि आपने अपनी पहचान सन्दिग्ध कर ली है क्योंकि एक तो कुछ अज्ञात कारणों से आपने अपनी पहचान छुपाई और दूसरे आपने जो नाम दिया वो बड़ा छ्दम किस्म का लग रहा है. <br /><br />आप रहने दीजिए महाशय. आप भी हिन्दी कविता की उसी प्रजाति के लगते हैं जहाँ कवि अपने साथी कवि तथा उसकी रचनाओं की आलोचना से खौफ खाता है. <br /><br />आप रहने दीजिए, पहचान छुपाऊ महोदय. आप नकली भावनाओं की लाल कविताएँ लिखते रहें, छन्द और तुक बाँधते रहें, दिन भर सिगरेट पीते रहें और हो सके तो साथी महिला की कमाई पर आलसी जीवन जीते रहें, आपका कोई कमेंट अब प्रकाशित नहीं किया जायेगा. <br /><br />किसी छ्द्म नाम से जी मेल की प्रोफाईल बना कर कमेंट करने का खेल कहीं और खेलिए.चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-40684404144426572162011-07-01T22:45:49.861+05:302011-07-01T22:45:49.861+05:30You are interested in name rather than the issue o...You are interested in name rather than the issue of debate. so, let me expose my self for the sake of debate. I am Krishn Murari Trivedi. <br /> I am sure you are not known to me as I have never been known as a literary figure. Any way, Now please get happy and make your expert comment pl.KM Trivedinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-78482234820132647562011-07-01T21:05:35.166+05:302011-07-01T21:05:35.166+05:30Anonymous जी,
नाम के साथ आईये महोदय. क्या आप इतन...Anonymous जी, <br /><br />नाम के साथ आईये महोदय. क्या आप इतने भीरू हैं कि अपना नाम लेने से घबरा रहे हैं? <br /><br />चालाक बेनामियों से क्या बहस की जायेगी??<br /><br />अगर नाम के साथ नही आ सकते तो आगे से कमेंट करने की कोई जरूरत नहीं. आगे, आपका कमेंट Anonymous नाम से प्रकाशित नहीं किया जायेगा.चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-38045120339663954202011-06-30T21:07:09.781+05:302011-06-30T21:07:09.781+05:30चंदन जी,
महेश जी की कुछ कविताएं(े आप की ट...चंदन जी,<br /> महेश जी की कुछ कविताएं(े आप की टिप्पणी में जिनका जिक्र है) अभी अभी पढ़ लीं। शेष कविताएं बाद मे पढ़ूंगा। मन हुआ तो इन कविताओं (और इस काट की कविताओं) पर बाद में आप से चर्चा भी कर लूंगा। मगर अभी आप की टिप्पणी से इतना मुतास्सिर हूं कि उसी पर दो बातें । आप ने जो कुछ कहा उस पर भी अभी कोई बात नहीं। अभी तो आप की कही बात को जैसा मैने समझा, वह आप के मुताबिक कितना सही है, यही जानना चाहता हूं। इसलिए हो सके तो मेरी सहायता करें।<br />1. पहले पैराग्राफ के अंतिम तीन वाक्य से जो मैं अर्थ निकाल पाया वह कुछ इस प्रकार है- कविता को बिम्ब रचने की जगह प्रतीक रचना चाहिए। आप के अनुसार, कविता का काम विचार व्यक्त करना है। दृश्य मे बंध कर व्यक्त हुआ विचार आप को प्रेय नहीं। आप प्रतीको के मार्फत आए विचार को श्रेष्ठ मानते हैं। यानी मसला यह है कि कविता प्रतीक माध्यम में होनी चाहिए। बिम्ब माध्यम में नहीं। बिम्ब की अपेक्षा प्रतीक को तरजीह देने का यह काव्यशास्त्रीय प्रयत्न किस तर्क से श्रेष्ठ हेै, इसका खुलासा अभी मैं आप की टिप्पणी के भीतर से नहीं कर पाया हूं। हो सके तो मेरी सहायता करें।<br />2. दूसरे पैराग्राफ की पहली बात। महेश कविता में लय बंधने नहीं देते। सायास वे कविता को चाक्षुष होने से बरजते हैं। यानी लय कविता को चाक्षुष बनाती है। क्या ऐसा ? फिर बिम्ब का कविता में क्या काम है? मैं यहां यह बेबात की बात नहीं उठाना चाहता कि शब्द क्या स्वयं में बिम्बAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-38777255409636253162011-06-29T17:22:36.121+05:302011-06-29T17:22:36.121+05:30बहुत अच्छी कविताएँ... बधाई..बहुत अच्छी कविताएँ... बधाई..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-36269783654726152052011-06-28T15:28:46.249+05:302011-06-28T15:28:46.249+05:30प्रिय चन्दन जी,
महेश वर्मा की आपके द्वारा भेजी गयी...प्रिय चन्दन जी,<br />महेश वर्मा की आपके द्वारा भेजी गयी 6 कवितायें पढ़ी।बहुत अछि कवितायें हैं।सचमुच बहुत अच्छा लगा।आपको और महेश जी को --बहुत धन्यबद।<br />आप ठीक से होंगे ही। <br />पुनः धन्यबद। <br />नवल शुक्लमधु शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/03510547923606622062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-89123956625510327742011-06-28T07:21:42.565+05:302011-06-28T07:21:42.565+05:30महेश जी की यह कविताएँ आत्मीयता से परिपूर्ण होने के...महेश जी की यह कविताएँ आत्मीयता से परिपूर्ण होने के साथ-साथ समय की व्यथाओं, संत्रासों, आंतरिक और बाहरी चुनौतियों के बीच घिरे मनुष्य की छटपटाहट को खासी निपुणता के साथ अभिव्यक्त करती हैं | महेश जी की इन कविताओं को पढ़ते हुए सचमुच एक नए अनुभव से गुजरने जैसा महसूस होता है |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12836611162321633100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-76127157596089135622011-06-27T10:34:00.416+05:302011-06-27T10:34:00.416+05:30बिल्कुल नए अंदाज़ की कविताएं हैं जो एक नए अनुभव सं...बिल्कुल नए अंदाज़ की कविताएं हैं जो एक नए अनुभव संसार में हमें ले जाती हैं।...देवमणि पांडेयदेवमणि पांडेयhttp://devmanipandey.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-45289779493348853282011-06-27T02:15:50.444+05:302011-06-27T02:15:50.444+05:30कि जो दरवाजा जीवन से कविता की ओर खुलता
वही दरवाजा...कि जो दरवाजा जीवन से कविता की ओर खुलता <br />वही दरवाजा कविता से जीवन में लौटने का नहीं .<br />bahut gahra hai aur bahut ooncha bhi !!Bodhisatvahttps://www.blogger.com/profile/10124782855343642490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-74341398894165596112011-06-26T22:39:37.746+05:302011-06-26T22:39:37.746+05:30भाव और भाषा दोनों ने ही आकर्षित किया ..
सुंदर जैसा...भाव और भाषा दोनों ने ही आकर्षित किया ..<br />सुंदर जैसा कि गौरव जी ने कहा चित्र भी उकेरती हैं...<br /><br /><br />बधाई महेश जी... <br />आभार चन्दन जी...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-67749898079487787142011-06-26T20:55:36.852+05:302011-06-26T20:55:36.852+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-90824027950217113852011-06-26T13:02:40.901+05:302011-06-26T13:02:40.901+05:30ye kavitayen! inhen fir fir padhane ka man kerta h...ye kavitayen! inhen fir fir padhane ka man kerta hai!! ye man me thaharti hain! inmen drashya hain, lekin aise hain jaise hare ke peechhe chhipa ak aur hara jhankta hain!ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-4598565416405192962011-06-26T13:01:55.330+05:302011-06-26T13:01:55.330+05:30ye kavitayen! inhen fir fir padhane ka man kerta h...ye kavitayen! inhen fir fir padhane ka man kerta hai!! ye man me thaharti hain! inmen drashya hain, lekin aise hain jaise hare ke peechhe chhipa ak aur hara jhankta hain!ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-70038524279854112422011-06-26T12:28:42.206+05:302011-06-26T12:28:42.206+05:30मेरे लिए कविता का ये अंदाज़ बिल्कुल नया रहा , माथा...मेरे लिए कविता का ये अंदाज़ बिल्कुल नया रहा , माथा खनक गया और एक सुखद अनुभव.." धूल कि जगह" "इस समय के किस्सागो को समझे जाने की ज़रूरत है", "मिलने गया था".. महेश जी "जबरजस्त" "दमदार" कवितओं के लिए बधाई और धन्यवाद! ..बहुत बहुत धन्यवाद चन्दन आपको भी ऐसे कवि और उनकी कविताओं से परिचय कराने के लिए.Akankshahttps://www.blogger.com/profile/11279008992132168032noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-12077857730074844062011-06-26T03:06:02.406+05:302011-06-26T03:06:02.406+05:30महेश अनमोल कवि हैं। उन्हें पढ़ना सौभाग्य है।
हाँ...महेश अनमोल कवि हैं। उन्हें पढ़ना सौभाग्य है। <br /><br />हाँ, कविताओं से पहले की टिप्पणी जिस रूप में मुझे समझ आई, उससे मेरी असहमति है। शायद आप महेश की कविताओं को दूसरी तरह से पढ़ते हों लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे दृश्य नहीं रचना चाहती। और यह कमी नहीं है, जैसा आप कहना चाह रहे हैं। विचार और कविता के विजुअल्स दोनों ही महत्वपूर्ण हैं और मुझे नहीं लगता कि किसी एक को कमी और दूसरे को खूबी बताया जाना चाहिए।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-76596046763574056932011-06-25T23:01:44.747+05:302011-06-25T23:01:44.747+05:30महेश जी बहुत सुन्दर कवितायेँ. बधाई!महेश जी बहुत सुन्दर कवितायेँ. बधाई!Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-18976043152132750802011-06-25T21:27:08.427+05:302011-06-25T21:27:08.427+05:30बहुत अच्छी कविताएँ... बधाई...
शेषनाथ पाणडेयबहुत अच्छी कविताएँ... बधाई... <br /><br />शेषनाथ पाणडेयshanti bhushanhttps://www.blogger.com/profile/06495232896753836612noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-21394166356726450692011-06-25T20:27:26.218+05:302011-06-25T20:27:26.218+05:30इस समय के किस्सागो को समझे जाने की ज़रूरत है .vali ...इस समय के किस्सागो को समझे जाने की ज़रूरत है .vali bahut pasnd aayi...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-11898692053285431752011-06-25T20:15:06.708+05:302011-06-25T20:15:06.708+05:30ek aisi tartamytaa...chahiye aapki kavita ko padhn...ek aisi tartamytaa...chahiye aapki kavita ko padhne ke liye..jo durlabh ho gayee hai mere saath..jab bhi aapko padhta hoon..yakeenan is duniya ka nahee rahta..aabhar mahesh varma jee..aabhar chandan pandey..Anonymousnoreply@blogger.com