tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post7236858433437813550..comments2023-12-26T21:51:11.012+05:30Comments on नई बात: राजधानी दिल्ली में क्षृंगार थियेटर या श्रृंगार थियेटर?चन्दनhttp://www.blogger.com/profile/06676248633038755947noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-87986021696167124762010-02-09T15:12:30.538+05:302010-02-09T15:12:30.538+05:30Nepal me bhi hindi ki ajeeb halat hai....lekin del...Nepal me bhi hindi ki ajeeb halat hai....lekin delhi me to log hindi bolna low status symbol mante hai..phir aisi galati to hogi hi...waise mujhse bhi hoti hogi kai galatiya..lekin ye wali kuch jada hi hai...mumbai me hindi ka kafi prayog karte hai..lekin waha ek famous brand name ka hindi me aisa anuwad likha tha ki yaha likhne ke kabil bhi nahi..sms kar dunga!....VivekAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-53018913564993390382010-02-09T12:33:13.839+05:302010-02-09T12:33:13.839+05:30इसका मतलब आप दिल्ली आये थे। मैने कब से कह रखा है क...इसका मतलब आप दिल्ली आये थे। मैने कब से कह रखा है कि आप अगर दिल्ली आओ तो मिलना जरूर।बहुत अच्छे!!!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/13411169240505553630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-52011763716732710352010-02-09T12:11:58.867+05:302010-02-09T12:11:58.867+05:30श्रृंगार भी अशुद्ध है.इसे ऐसे लिखा जाता है(यूनिकोड...श्रृंगार भी अशुद्ध है.इसे ऐसे लिखा जाता है(यूनिकोड में शायद नहीं लिखा जा सकता)कि श्र में जो प्र वाली डंडी है वह न रहे.तब ऋ की मात्रा लगे.खैर,अब मात्राओं,वर्तनी पर कसरत करना कुछ ही लोगों का काम रह गया है.बोलने की तो छोड़ ही दीजिए.इस संबंध में आकाशवाणी को मनहूस कहते मैंने अच्छे-अच्छों को सुना है.कई स्थापित लेखक भी यह सोचकर रचनाएँ रवाना कर देते हैं कि रचना तो पहले ही स्वीकृत है सो संपादक सुधार लेगा.मैंने सुना है नई दुनिया अख़बार में आज भी प्रूफ़रीडर से बहुत काम लिया जाता है.शशिभूषणhttp://www.hamariaavaaz.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-75732885648034900522010-02-09T09:09:11.114+05:302010-02-09T09:09:11.114+05:30रंजीत जी, आपकी बात सही है। जैसे सन्दीप ने अंचलो के...रंजीत जी, आपकी बात सही है। जैसे सन्दीप ने अंचलो के बारे मे बताया वैसा ही दक्षिण में चलता है। वहाँ कृपा को लिखते तो कृपा ही हैं पर पढ़ते क्रुपा हैं। एक और बात उसकी स्पेल्लिंग krupa है। आप देखेंगे एक कम्प्यूटर की दुनिया में एक मशहूर हिन्दी फॉंट है krutidev. आपको जान कर जरा आश्चर्य होगा कि दक्षिण वाले ही नहीं सारे उत्तर भारतीय भी इसे क्रुतिदेव ही पढ़ते हैं। जबकि यह कृति देव है। अंग्रेजियत ने कई सारे हिन्दी शब्दों का माने बिगाड़ दिये हैं। भारतीय ज्ञानपीठ का होम पेज खूलना हो तो आपको jnanpith ही टाईप करना होगा। <br />ऐसी विसंगतियों पर एक बड़ी पोस्ट की योजना है। आप के ध्यान में कोई ऐसी बात हो तो जरुर सूचित करें। <br /><br />@ सन्दीप आंचलिकता वाले पर कुछ तैयार करो। पर हाँ, नई वाली बात के लिये!chandan pandeyhttp://www.nayibaat.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-42591417832038165382010-02-09T08:52:51.437+05:302010-02-09T08:52:51.437+05:30चन्दन जी,
मैं बंगलोर में हूँ पिछले ६ साल से, ज्ञा...चन्दन जी, <br />मैं बंगलोर में हूँ पिछले ६ साल से, ज्ञान को अंग्रेजी में jnan तो बहुत लोग लिखते हैं, वैसे कुछ लोग gyan भी लिखते हैं. लेकिन यहाँ अंग्रेजी भाषा के इस शब्द को 'ज्नान' ही उच्चारित किया जा रहा है. आमलोग भी यही बोलते हैं. एक जगह है 'विज्ञान नगर', उसे ज्यादातर लोग 'विग्नान नगर' कहते फिर रहे हैं. हिन्दीभाषी लोग जो काम के सिलसिले में यहाँ आये हैं, वो भी जहमत नहीं उठा रहे इसे सही उच्चारित करने की, और 'विग्नान नगर' अब विज्ञान नगर नहीं हो पायेगा कभी.<br /><br />- रणजीत कुमारvidrohihttps://www.blogger.com/profile/11662299373207672037noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-13200608950489683392010-02-08T23:17:36.724+05:302010-02-08T23:17:36.724+05:30कई बार आंचलिकता भी भाषा पर प्रभाव डालती है। इन दिन...कई बार आंचलिकता भी भाषा पर प्रभाव डालती है। इन दिनों मेरा ठिकाना बने इंदौर में ज को झ लिखा जाता है मसलन जेड को यहां झेड लिखते हैं। भोपाल में हमारे एक साथी लगातार दो साल तक बहुत बढ़िया को भोत भड़िया कहते रहे। हालांकि दिल्ली के साथ् तो ऐसी मजबूरी नहीं समझ में आती।संदीप कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01263206934797267503noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-75745557079372311392010-02-08T23:14:39.038+05:302010-02-08T23:14:39.038+05:30यह सब जाहिलों का किया धरा है. कृपया को "क्रृप...यह सब जाहिलों का किया धरा है. कृपया को "क्रृपया" और "कृप्या" लिखा दीखता है.<br />मेरे बिहारी सहपाठी "स्पष्ट" को "अस्पष्ट" और "अस्पष्ट" को "अ-अस्पष्ट" बोलते हैं.jyotsnanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-49113287524426162572010-02-08T23:02:15.042+05:302010-02-08T23:02:15.042+05:30वैसे 'श्रृंगार' भी गलत है; सही वर्तनी '...वैसे 'श्रृंगार' भी गलत है; सही वर्तनी 'शृंगार' है. <br />विस्तृत व्याख्या के लिए यह पोस्ट देखें. <br /><br />http://hariraama.blogspot.com/2007/10/secrets-of-devanaagarii-sh.htmlभारत भूषण तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/12706567132548135848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2828598581662518679.post-43884256313678861632010-02-08T22:20:48.557+05:302010-02-08T22:20:48.557+05:30Its sad!!!! Even i noticed that word the very firs...Its sad!!!! Even i noticed that word the very first day i visited Pragati Maidaan...It was written at one of the entrance of Gate No 1.. but your eyes think things very differently...Aparna Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01867646287175225582noreply@blogger.com