मेरा नाम चन्दन पाण्डेय है और मैं कहानियां लिखता हूँ. ब्लॉग की नयी दुनिया में यह मेरा पहला प्रयास है. पर इस ब्लॉग को बनाने से पहले ही मैंने यह तय कर लिया था कि इसपर लिखा क्या जाएगा? आपके पास कहने के लिए ऐसा कुछ हो जो चीजो को देखने कि नयी दृष्टि दे या फिर अगर पुरानी बात भी कहनी हो तो वही बातें जिसका दुहराया जाना नितांत आवश्यक हो.
दुहराव के पक्ष में मैं हमेशा से हूँ..अगर सूरज दुबारा दुबारा न निकले तो मुश्किल हो जाए, मौसम बार बार न आयें तो भी मुश्किल हो, और याद..इसके दुहराव के बिना तो शायद ही कोई लक्ष्य हासिल हो. बचपन में नए पाठ याद करने के लिए पापा ने पाठ को दुहराते रहने की सलाह दी थी.
अगर आपको लगता है कि आपके पास कहने को क्या कुछ है, कोई फ़िक्र, कोई विचार, कोई राय, कोई टिपण्णी ...तो आपका नई बात पर स्वागत है..
6 comments:
चन्दन, बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी ही. हम भी इसके साथ - साथ चलेंगे............
Satya vachan, bahut baten hain jinhe sajha kiya jayega
गीत से आपके ब्लाग का पता चला
कहानियां पढी हैं अब ब्लाग पर नयी पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!!
shubhmanayen!
चंदन भाई,यहां आपको देखकर मुझे बहुत खुशी हुई.मैं शायद उन लोगों में से हूँ जो आपकी कहानियाँ पढ़कर फ़ोन करने से ख़ुद को रोक नहीं पाते रहे हैं.लेकिन इसमें इंतज़ार को बड़ी भूमिका निभानी पड़ती रही है.वज़ह आपकी नौकरी में यायावरी जो शामिल है.आपके बदलते फ़ोन नंबरों ने जाने कितनों को सुबह सुबह जगाने को मज़बूर किया जिनके पास अब वो आपकी पुरानी पहचान के साथ हैं.यहाँ आपका होना इस तरह से भी अच्छा है कि ब्लाग की दुनिया में अभी तक ज़्यादातर पत्रकार ही हैं.इस माध्यम को भी एक दिन सबको लेकर ही परिपक्व होना है.अगर राय ही जानना चाहते हैं तो कहूँ यहाँ ऐसे रहिए कि हम जान सकें किस दुनिया में विचरतें हैं आप.किनसे मिलकर ताक़त बटोरते हैं और किन बातों की कहानियाँ कभी नहीं बना पाएँगे आप.क्योंकि यह भी सच है कि आपकी एक भी कहानी की क्षति नहीं चाहेंगे हम.और हाँ ये भी कि बात जब चंदन पांडे जैसे कल्पनाशील कलाकार से हो तो ये तो नहीं ही कहा जा सकता कहाँ क्या नहीं हो सकता...बधाई. -शशिभूषण
ये वो चन्दन नहीं है, जिसकी बात कुछ देर पहले हुई थी। पर ये भी अपना सा है और वो भी।
अच्छा लगा चन्दन आपसे बतियाकर। बहुत खूब और बहुत कुछ घटता है इस ब्लाग जगत में। बुजुर्गों ने कहा है अच्छा अच्छा करते जाओ, अच्छा अच्छा कहते जाओ, सुख पाओ।
चलो, कुछ यूं कर लें।
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