आज अचानक दिखा
पहला सफेद बाल
जैसे दिखी थी तुम
जीवन के अन्धेरे दिनों में
कुन्देरा नही पंकज आये
याद तुम्हारी मेरी आत्मा में
छूटी हुई, धरी हुई हंसी
पंकज से न मिल पाना
आया याद कितना कुछ
सुगन्धियों से शेष इस जीवन में
मैं खुद को दिखा उन तमन्नाओं की
चौखट फेरते,जो रह गई थीं,
इच्छायें
छूटी हुई, सांस की तरह बजती हुई
कामनाओं की अकूत दौलत लिये देखता हूँ
आईने में खुद को सालों पार
सारे ही सफेद बाल
जीवन जितने कम
यादों जितनी बिखरे
बाल जिन्हे तुमने अपनी उंगलियों मे लिया था
जब मैं पहली बार रोया था तुम्हारे सामने
तुम्हारे बाद
मेरा जीवन मेरी परछाईयों ने जिया
सुख गायब हुए अजीज काले रंग की तरह
पहला सफेद बाल देख चुका हूं
आज ही अनगिन बार
मौजूद थे सारे कारण होने के उदास
पर सफेद बाल ने जिम्मेदारी का सुन्दर
बोझ डाल दिया
पहला यह सफेद बाल ही लाया ख्याल
तुम जहाँ भी रहो सुखी रहो
दुनिया सुन्दर हो जाये
कम हो जाये मेरा गुस्सा
(तुम्हारा भी)
मैं आज धीरे धीरे हंसा
धीरे धीरे ही लिये निवाले
चुस्कियों में बिताई चाय
तुम्हे कई बार सोचा
घर तीन दफे फोन किया
(तुम्हे चार दफे पर नम्बर...)
इस धवल केश ने अकेले ही दम जलाये
आत्मा के उन कमरे के कम रौशन दिये
जहाँ अधूरी ख्वाहिशे लेटी
थी उदास (.....वो भी बाईं करवट)
उनके लिये रोया जरूर
जरा भी नही झल्लाया पर
तुम्हे नही मना सका
उन्हे मनाया पर
अब अधूरी हसरतें ही साथिन
अब अधूरा ही
होउंगा मैं
पूरा.
............
कवि से सम्पर्क: soorajkaghar @gmail.com
कविता की शुरुआती पंक्तियों में क्रमश: मिलान कुन्देरा(गद्य रचनाकार) और पंकज चतुर्वेदी(युवा कवि) का जिक्र है. श्री पंकज जी ने भी इस विषय पर एक सुन्दर कविता रची है.
7 comments:
सूरज हमेशा की तरह अछूते और ताजे लगे,मेरी बधाई !
अच्छी कविता. पंकज की याद भी सही जगह आई, वो अद्भुत कवि, आलोचक और इंसान हैं....यहाँ न श्री के ज़रुरत है, न जी की.......वो आजकल चुप हैं....न जाने क्यूँ....
बहरहाल सूरज को बधाई....
सूरज जी आपको बहुत बहुत बधाई. बिल्कुल नये और ताजे ढ़ंग की कविता है.
“इस धवल केश ने अकेले ही दम जलाये
आत्मा के उन कमरे के कम रौशन दिये
जहाँ अधूरी ख्वाहिशे लेटी
थी उदास (.....वो भी बाईं करवट)
उनके लिये रोया जरूर
जरा भी नही झल्लाया पर
तुम्हे नही मना सका
उन्हे मनाया पर
अब अधूरी हसरतें ही साथिन
अब अधूरा ही
होउंगा मैं
पूरा.”
क्या बात है!!
राजेन्द्र सौरभ
सतना
Awesome Suraj.......... Its tremendous composition, Congrats to you
pichhli behas aur arop prtarop ke baad ye khubsoorat kavita tazi hawa ki tarah hai...sooraj ko badhai
wah
Kya baat hai...congrats suraj main kya feel kar raha huin avi samajh nahi..par kuch ajeeb beachaini ajeeb pareshani hai..really touching...bahut bahut badhai..
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