Tuesday, November 24, 2009

सूरज कवितायें लिखता है

इत्तफाक से मेरे मित्रों मे ऐसों की भरमार है जो छपने से घबराते है। कुछ दिनों पहले मैने लीशू की कवितायें आप तक पहुंचाई, इस बार सूरज की कवितायें।

मैं और सूरज बचपन से एक दूसरे को जानते हैं। वो चुप्पा लेकिन शानदार इंसान है और मुझे उसकी कवितायें बेहद पसन्द है।इस बात पर कहता है कि दोस्त होने के नाते मैं ऐसा कहता हूँ। उसने आजतक कोई कविता कहीं नहीं छपाई। कहीं किसी पत्रिका को अपनी कवितायें भेजता तक नहीं है जबकि शर्माने की उमर से बहुत आगे निकल आया है। ये कवितायें मैने उसे सूचित कर उसकी डायरी से ली हैं। देर तक नखरे करते रहने के बाद राजी हुआ(या क्या पता सच में शर्माया हो) और मुझे भी लगा, ये कवितायें पाठकों तक पहुंचनी चाहिये। आप बताइये, मैं ‘बस’ सही हूँ या बिल्कुल सही हूँ?

हवा से करार

दूरियों से मुझे हल्का गुस्सा है।
तुम ना हो तो दूरी का क्या,
होना। और न होना


मैं गाता हूँ प्रेम का सिनेमाई, पर जान लेवा गीत
और ये दूरी है जो तुम्हे मेरी चुप्पी बता आती है

ऐसा करो मेरी जान, तुम हवाओं पर दौड़ती हुई
चली आओ
मुझसे मिल जाओ
नहीं, ऐसा नहीं, दूरियों से मैं घबराया नहीं
(परेशान जरूर हूँ)
बेताबी है, पर ऐसी जैसे सुलग रहा हो कोई
चेहरा
चूल्हा
कान की लवें। बुझने की बात ही क्या?

तुम जिस गति से आओगी
तुम जिस गति से ‘मुझसे’ मिलने आओगी
मुझे मालूम है
पृथ्वी को भी मालूम है

पृथ्वी तुम्हे भरपूर मदद करेगी / तुम जहाँ पैर रखोगी जमीन ढीली हो जायेगी / तुरंत के पूरे किये प्रेम के बाद के जोड़े की तरह / फिर भी दूरी तो दूरी है / चोट आयेगी / तुम्हारे पैरों से निकला एक बूँद रक्त पृथ्वी की सारी खामोशी मिटा देगा / पृथ्वी उदास हो जायेगी / उसके झरने, फूल, बारिश, तुमसे कम उंचे पहाड़, तुमसे कम गहरे समुद्र उदास हो जायेंगे

मैने हवाओं के ड्राईवर से बात चला रखी है
वो तुम्हे ख्यालों के खूबसूरत सूटकेस की तरह ले आयेंगे

यदि कर सका मैं अग्रिम भुगतान
हवा भेजती रहेगी मुझे पल प्रतिपल तुम्हारी
बेजोड़ परछाईंयों के रंगीन लिफाफे।

12 comments:

शायदा said...

आप बिल्‍कुल सही हैं और कविता बहुत अच्‍छी है।

Aparna Mishra said...

First of all i wud lyk to CONGRATULATE Suraj for writing such a beautiful poem.....

Secondly Chandan its a great thing tht u bring such poems in our knowledge,which our an asset for the readers......

आशुतोष पार्थेश्वर said...

aai, hap bilkul sahi hai,sambhal kar rakh rakhi jane wali pyari kavita hai

अर्कजेश said...

बढिया है । एकदम एकदम ताजी ताजी । प्रेम में डूबी ।

आलोक श्रीवास्तव said...

wakai achchhi kavita hai. aur achchha huwa ki patrikao me nahi aai varna najar pade bagair hi gujar jaati kyoki aajkal patrikawo ki kavitaye nahi padi ja rahi mujhse.

चन्दन said...

chandrika abhi mujhe tumhaaree kavitao kee bhi khabar leni hai. kal mai jo jo shirshak bataungaa tum vo vo kavitaaye bhej dena.

Udan Tashtari said...

वाह जी, सूरज जी की रचना तो जबरदस्त है:

मैने हवाओं के ड्राईवर से बात चला रखी है
वो तुम्हे ख्यालों के खूबसूरत सूटकेस की तरह ले आयेंगे


-प्रस्तुत करने का आभार.

संदीप कुमार said...

खबसूरत कविता चंदन,अनोखे बिंबों से सजी( हो सकता है सूरज इन्हें बिंब मानें ही न) सूरज से विस्तार से परिचित करवाओ न...

चन्दन said...

विस्तृत परिचय देना भूल ही गया। जब से होश सम्भाला, उसे जानता हूँ तो लगा सभी उसे जानते होंगे। मेरे ही गाँव का है। सूरज कुमार पाण्डेय। इतिहास का छात्र रहा। अभी तिरुअंतपुरम मे नौकरी कर रहा है। ईमेल और फोन नम्बर देने से इंकार किया है पर जब वो आप सबकी प्रतिक्रियायें देखेगा तो भरोसा है, मान जायेगा। नहीं माना तो भी उसकी अगली कविता के साथ उसका ईमेल पता जरूर दूँगा। इस बार देख लेते हैं।

addictionofcinema said...

Suraj ko meri or se janleva kavita k liye shubhkamnaon ka briefcase pahucha dena

upendra said...

मैं गाता हूँ प्रेम का सिनेमाई, पर जान लेवा गीत
और ये दूरी है जो तुम्हे मेरी चुप्पी बता आती है
in lines ko dekhe pandey ji, sab samajh jaye,
chuppi tore, hume brjan na kare

शशिभूषण said...

कविता अच्छी लगी.कविता में एक कामना है कि दूरी मिटे.लड़की का आना हो.यह बड़ी कोमल,निर्दोष और संभावनाओं से भरी कामना है कि लड़की के आने भर से दूरी मिट जाएगी.वह दूरी जो इंतज़ार,कल्पनाओं से भरी है.जिसकी चुप्पी से बोलचाल है.इसी दूरी से धरती और हवा का रिश्ता भी है.धरती और हवा सब अनुकूल होंगे इस उम्मीद का आधार है एक करार.करार में अग्रिम भुगतान की अव्यक्त शर्त है.इस शर्त का पूरा होना न होना ही तो हमारे समय के प्रेम का सामाजिक पक्ष है.अगर करार पूरा हुआ तो हवा लड़की को खयालों के सुंदर सूटकेस की तरह ले आएगी.पर ऐसा नही हुआ तो?पूरी कविता इस आशंका को मौन रखती है.यही इस कविता की सुंदरता है.यही मौन कविता में भावुकता की जगह भावों की सुंदर सादगी रचता है.कविता में दो बिंबों के बीच जो दूरी है वह कविता की कमज़ोरी है.इस एकमात्र कविता से ही इसे कहते हुए संकोच भी हो रहा है.चंदन,यह अच्छा कदम है.