लीशू और सूरज के बाद अब पूजा। पूजा सिंह। Network 18 से जुड़ी पूजा की इस कविता में अनोखी उर्जा है, आत्मविश्वास है। इनका व्यक्तित्व इतना शानदार और गजब कि अगर रिश्ते निभाने और 'गुस्सा होने' की प्रतियोगितायें हो तो दोनो में ही प्रथम आयेंगी। गोरखपुर के धुर देहात से निकल, पत्रकारिता की पढाई - नौकरी। दु:खद यह कि शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र मे जगह बनाने के लिये जो संघर्ष करना पड़ा उसमे कविता ही जाती रही। स्नातक की पढ़ाई के दिनों मे लिखी कुछ में से यह कविता इस लिये भी महत्वपूर्ण है कि इसके जरिये हम देखेंगे: समय का दबाव कितना गहरा है और अपने आप को व्यवस्थित करने की जो लड़ाई हम लड़ रहे है उसमे कैसी कैसी प्रतिभायें अपने रोयेंदार पँख समेट लेने पर विवश हैं।
समय के दबाव मे प्रतिभाओं के छिप जाने के किस्से तो हमने बहुत सुने थे, पर पहली बार आंखो देखी। मै पूजा को भरपूर जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि उनके ‘कंसर्न’ और ‘कमिटमेंट’ मे कहीं कोई कमी नहीं है। ऐसे मे क्या यह पड़ताल नहीं होनी चाहिये कि आखिर इस बारूद समय मे ऐसा क्या है जो हमें हमारी असल राह भुलाने में ही यकीन रखता है, ऐसा क्या है जो हमारे संघर्षों के बदले हमारे कोमल मन पर कब्जा जमा लेता है? क्या पूजा को और से और कवितायें नहीं लिखनी चाहिये?
समय के दबाव मे प्रतिभाओं के छिप जाने के किस्से तो हमने बहुत सुने थे, पर पहली बार आंखो देखी। मै पूजा को भरपूर जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि उनके ‘कंसर्न’ और ‘कमिटमेंट’ मे कहीं कोई कमी नहीं है। ऐसे मे क्या यह पड़ताल नहीं होनी चाहिये कि आखिर इस बारूद समय मे ऐसा क्या है जो हमें हमारी असल राह भुलाने में ही यकीन रखता है, ऐसा क्या है जो हमारे संघर्षों के बदले हमारे कोमल मन पर कब्जा जमा लेता है? क्या पूजा को और से और कवितायें नहीं लिखनी चाहिये?
मैं सूर्य की प्रेमिका हूँ
मैं सूर्य की प्रेमिका हूँ
जिसका करती हूँ नित्य दर्शन
फिर भी नहीं होती
पूरी मन की तृष्णा
मैं सूर्य की प्रेमिका हूँ
जिसका करती हूँ नित्य दर्शन
फिर भी नहीं होती
पूरी मन की तृष्णा
कभी लगता एक अबोध बालक सा
कभी हो जाता इतना ज्ञानी जो
सारे जग को प्रकाशित करने में
सामर्थ्यवान .....लेकिन
अस्तिव खो जाने के भय में जीती
इधर मैं
कभी हो जाता इतना ज्ञानी जो
सारे जग को प्रकाशित करने में
सामर्थ्यवान .....लेकिन
अस्तिव खो जाने के भय में जीती
इधर मैं
जबकि मैं हूँ उसकी प्रेमिका
आखिर मैं हूँ उसका हिस्सा
अभिन्न
फिर क्यों मुझे भुलाकर
पीछे छोड़कर
चलता चला जाता है वह
अपनी अजब गति से और
छोड़ जाता है एक जिजिविषा
एक विश्वास
है वह मेरा
इस तरह स्पर्श करेगा वह
मेरा कल, क्योंकि मैं हूँ
उसकी,
अपने सूर्य की प्रेमिका।
आखिर मैं हूँ उसका हिस्सा
अभिन्न
फिर क्यों मुझे भुलाकर
पीछे छोड़कर
चलता चला जाता है वह
अपनी अजब गति से और
छोड़ जाता है एक जिजिविषा
एक विश्वास
है वह मेरा
इस तरह स्पर्श करेगा वह
मेरा कल, क्योंकि मैं हूँ
उसकी,
अपने सूर्य की प्रेमिका।
-पूजा सिंह
18 comments:
अद्भुत कविता ...खुद को सूर्य कि प्रेमिका मान कर मन को आलोकित करने कि तृष्णा जो जगी है वो निश्चित ही आपके पथ को प्रकाशवान कर जाएगी ... खुद पर विशवास कायम रहे बस
जिन्दगी की कहानी लिखते लिखते अक्सर कविता खो जाया करती है ...पर वो रहती हमेश दिल में है ...
Superlative Composition !!
सुन्दर कविता। पूजा जी को बधाई। चन्दन जी आप सचमुच नया काम कर रहे हैं। कृपया इन छुपे रुस्तमों की दूसरी कवितायें भी दें।
अस्तिव खो जाने के भय में जीती इधर मैं...बेहतरीन अभिव्यक्ति, पूजा जी। प्रेम मे ऐसा अक्सर होता है अगर प्रेमी या प्रेमिका मे से कोई एक बड़े नाम वाला हो। आप लिखते रहें, आगे बढ़े। पत्रकारिता आपके भीतर के कवि को छू भी नहीं पायेगी।
वैसे चन्दन जी, आपका भी गद्य बहुत सुन्दर है। विशेषणों का प्रयोग सर्वथा नया .. रोयेंदार पँख, बारूद समय। क्या आप वही चन्दन पाण्डेय है जिसने भूलना और नकार आदि कहानियाँ लिखी है?
Nice Poem Pooja.. Congratulations.. expecting more from u.. :)
thanks for a good poem pooja. keep writing..
what a line...apane soorya ki premika
जी रकमपाल जी, मैं वही चन्दन हूँ। कमेंट के लिए शुक्रिया।
बहुत सुन्दर-अद्भुत!!!
wah bhai maan gaye apko,sach me bhai tum genious ho,itni si umra me bhi itni soch rachte ho,padh kar dil ko bahut khushi hui
सुंदर कविता पूजा, एकदम मन की गहराइयों से निकली हुई
aap sahi me suraj ki premika banne ke layak hain pooja....nice compostion...chandan ji ki search engine ki to daat deni padegi
Pooja Ji Apko Chandon me to oj hai magar is premika me wo diwangi nahi so suraj ki premika me honi chahiye.Plz dont mind magar…
सुन्दर कविता
sachmuch achhi kavitayen hai.
congrats Pooja for writing a gud composition wid a emotion called Love & Pain, thru which every1 goes and also for being one of the Hidden Tallent in Chandan's eye coz its really a tuf job.....(dnt mind)......
Puja u shud continue writing as ur writing shows ur intensity & passion 4 it....
chandan, keep gng in search & i hope v all wud lyk to read more poems of all the 3 Hidden & Creative POETS..........
Well i hv read dis b'fore of course in college days ....as far as pooja is concern she is excalty wat chandan ji has written abut her keep rocking pooja but of course pehle se kafi sudhar gayi hai....... cheers :)
सूर्य के बिम्ब का यह बिलकुल नई तरह से इस्तेमाल है मैने बहुत पहले कभी बेंजामिन मोलाइस को सूर्य का बिम्ब देते हुए एक कविता लिखी थी " सूरज को फाँसी "
चन्दन भैया हिंदी को महान kavyatri देने के लिए शुक्रिया
वैसे हिंदी के महान कहानीकारों की श्रेणी में आपभी शामिल हो गए जैसे राजेंद्र यादव,मोहन राकेश , कमलेश्वर जैसे टैलेंट खोजु टीम के नए version आपकी कहानिओं से धार गाएब होती जा रही है बचाइए अपने आपको...बहुत लोग चाहते है आपको...hindi ko kuchh world classic me hastachhep karne ki dhar dijiye...
Post a Comment