(प्रार्थना की भाषा और शिल्प में कवितायें रचने वाले येहूदा आमिखाई, हिब्रू(इजराइल) और तदानुसार विश्व के महानतम कवियों में शुमार हुए. )
बम का दायरा
तीस सेंटीमीटर व्यास का बम
सात मीटर की मारक क्षमता का दायरा बनाता था
जिसमें चार मृत और ग्यारह घायल हुए |
इसके चारो ओर
तकलीफ और वक्त के लिहाज से
बड़ा दायरा बनता था
जिसमें दो अस्त-व्यस्त अस्पताल
और एक कब्रिस्तान शामिल हुए |
लेकिन वह युवती
जो सौ किलोमीटर दूर
अपने शहर में दफनाई गई
इस दायरे को काफी बड़ा कर दे रही थी |
उसकी मौत पर
समुन्दर पार किसी दूर देश के
सुदूर तटों पर मातम मनाता
वह अकेला आदमी
इस दायरे में पूरी दुनिया को ले आता था |
उन यतीमों के रुदन का जिक्र भी नहीं करूँगा
जो भगवान् के सिंहासन और उसके भी परे पहुंचकर
ऐसा दायरा बना रहा था
जिसका
न तो कोई अंत था
और
न ही कोई भगवान् |
.............
यह अनुवाद मनोज पटेल का है. नई बात पर नये लोगों की सीरिज में पूजा, श्रीकांत, चन्द्रिका और सूरज के बाद यह नया नाम मनोज पटेल का, जो पेशे से वकील ठहरे तथा फेसबुक जैसी चंचलमना जगह के सार्थक उपयोग के लिये जाने जाते हैं. मनोज, ओरहान पामुक के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास ‘द व्हाईट कैसल’ का अनुवाद कर रहें हैं. साथ ही कविताओं में महमूद दरवेश, निजार कब्बानी, रोजेविच, मिस्त्राल तथा दूसरे महान कवियों की रचनाओं का नये सिरे से अनुवाद भी कर रहें हैं.सम्पर्क: 09838 599 333
5 comments:
इतनी महान कविता पढवाने का शुक्रिया
आपने बहुत दर्दनाक अनुवाद किया है
आपके हुनर को सलाम्
वाह !!!! अदभुत कविता है! मनोज जी को शानदार अनुवाद के लिए बधाई...आपको इस पोस्ट के लिए धन्यवाद..हर बार एक नयी बात लाना लाजवाब है.
बम के इतने पास जाकर इतनी दूर तक देखना बिलकुल जादुई है.
भगवान मिले न मिले लेकिन रुदन का अंत जरुर ढूढना होगा !!!
यह कविता पहले भी पढ़ चुका हूँ, तब अनुवाद निशांत ने किया था और यह कविता ताहम पर मौजूद है, येहूदा जी को आप लोगों के मार्फ़त ही जाना है, उनकी कुछ कवितायेँ शायाद अनुनाद पर भी हैं.
फिर से याद दिलाने का शुक्रिया.
yeh dekhen...
http://taaham.blogspot.com/2010/03/blog-post_12.html
बढ़िया. ऐसी कविता पढ़ने के बाद कुछ भी कहना शायद खुद से अन्याय करना होगा. इसे पढ़ते हुए कुछ ऐसा महसूस हुआ, जिसे शब्दों में बयान नहीं कर पाऊंगा. मनोज जी, बधाई.
Post a Comment