( महाकवि नाजिम हिकमत को पढ़ते हुए यह एहसास लगातार बना रहता है कि जैसे “जीना हमारी जिम्मेदारी है”. इनकी कविता में जो उम्मीद के स्वर हैं वे किन्ही वायवीय स्वप्न सरीखे नहीं हैं. यह उम्मीद गूलर का फूल भी नहीं है जो आज तक किसी को दिखे ही नहीं. उनकी कविता की दिखाई उम्मीद - राह बहुत खास परंतु प्राप्य लक्ष्यों की तरह होती है. अपने अदना से ब्लॉग पर नाजिम को पोस्ट करते हुए मैं बे-इंतिहा खुश हूँ.)
अनुवादक का नाम बार बार बताना कहाँ जरूरी होता है....
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दिल का दर्द : नाजिम हिकमत
अगर मेरे दिल का आधा हिस्सा यहाँ है डाक्टर,
तो चीन में है बाक़ी का आधा
उस फौज के साथ
जो पीली नदी की तरफ बढ़ रही है..
और हर सुबह, डाक्टर
जब उगता है सूरज
यूनान में गोली मार दी जाती है मेरे दिल पर .
और हर रात को डाक्टर
जब नींद में होते हैं कैदी और सुनसान होता है अस्पताल,
रुक जाती है मेरे दिल की धड़कन
इस्ताम्बुल के एक उजड़े पुराने मकान में.
और फिर दस सालों के बाद
अपनी मुफलिस कौम को देने की खातिर
सिर्फ ये सेब बचा है मेरे हाथों में डाक्टर
एक सुर्ख़ सेब :
मेरा दिल.
और यही है वजह डाक्टर
दिल के इस नाकाबिलेबर्दाश्त दर्द की --
न तो निकोटीन, न तो कैद
और न ही नसों में कोई जमाव.
कैदखाने के सींखचों से देखता हूँ मैं रात को,
और छाती पर लदे इस बोझ के बावजूद
धड़कता है मेरा दिल सबसे दूर के सितारों के साथ.
* *
दरअसल, यह कुछ इस तरह से है
खड़ा हूँ मैं राह दिखाती हुई रोशनी में,
भूखे हैं मेरे हाथ, खूबसूरत है दुनिया.
बाग का बड़ा हिस्सा नही पातीं मेरी आँखें
कितने आशापूर्ण हैं वे, कितने हरे-भरे .
एक चमकीली सड़क गुजर रही है शहतूत के पेड़ों से होकर
कैदखाने के अस्पताल की खिड़की पर खड़ा हूँ मैं.
दवाओं की गंध नहीं ले पा रहा मैं --
जरूर गुलनार के फूल खिल रहे होंगे कहीं आस-पास.
इस तरह से है यह :
गिरफ्तारी तो दीगर मसला है,
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अनुवादक से सम्पर्क: 09838599333; manojneelgiri@gmail.com
शुरुआती पंक्तियों में कोट की हुई पंक्ति "जीना हमारी जिम्मेदारी है" कवि मित्र सूरज की आगामी कविता की पंक्ति है.
5 comments:
बहुत सुन्दर कवितायें।
मान गया सर, बेजोड़ है,
सलाम.
बहुत ही सुंदर और प्यारी कविता....
मेरा ब्लाग "काव्य कल्पना" साथ ही "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी मुझे देखिये।.......बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
Wow!!!!
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