Wednesday, December 22, 2010

शशिभूषण की कविता : तुम्हारा प्यार...

( सम्वाद की परम्परा में भरपूर यकीन रखने वाले शशिभूषण अपनी कहानी “फटा पैंट और एक दिन का प्रेम” के लिये जाने जातें हैं. कवितायें लिखते रहें हैं पर उन्हे प्रकाश में लाने का कार्य अब शुरु किया है और उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उनकी यह कविता...)


तुम्हारा प्यार....


तपती गर्मी में

जैसे पानी का ठंडक

पेड़ों की छाँव

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार...


गरजती बारिश में

जैसे मज़बूत घर

मन का साथी

वैसे मेरे दिल में

तुम्हार प्यार....


ठिठुरते जाड़े में

जैसे दहकता अलाव

सूरज की धूप

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार....


सलोने चेहरे में

जैसे मनोहर आँखें

खनकती हँसी

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार....


भारी पलो में

जैसे संगीत

गरम चाय

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार...


अकेले सफ़र में

जैसे पिता की सीख

माँ की उम्मीद

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार....


हारे जीवन में

जैसे मन की जीत

दो हाथों की आस

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार...


अपने देश में

जैसे बलिदान

सपनों की उड़ान

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार...


अंतिम क्षणों मे

जैसे छूटता जीवन

उमड़ता मोह

वैसे मेरे दिल में

तुम्हारा प्यार...


तुम्हारा प्यार...

जैसा सच सच कुछ नहीं

कुछ भी नहीं झूठ....


-शशिभूषण

( कवि से सम्पर्क : 9025743718 ; gshashibhooshan@gmail.com )


3 comments:

Anonymous said...

sundar hai

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Anonymous said...

shabdon ki mitvyaita ke sath komal bhavon ki vyapakta sarahneeya hai.badhai
-from:Ranjeeta (c.G.)