लीशू, सूरज, पूजा, श्रीकान्त के बाद मनोज कुमार पाण्डेय। इस ब्लॉग पर इनकी कवितायें। इन कविताओं से पहले, बतौर कहानीकार अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करा चुके। शहतूत कहानी संग्रह चर्चित। लखनऊ में रहनवारी। मनोज की कहानियों पर विस्तृत चर्चा यहाँ उप्लब्ध।
लगे हाथ मन की एक बात आप सबसे बाँटना चाहूँगा - ब्लॉगिंग की शुरुआत करते हुए जरा भी अन्देशा नहीं था कि इतने गम्भीर साथी ‘नई बात’ से जुड़ते चले जायेंगे। किसी नये काम के शुरुआत में जिस विश्वास की जरूरत होती है वो भी आप सब से भरपूर मिला। सबका आभार। आज यह भी बताना चाहूँगा कि इस ब्लॉग पर कुछ ही दिनों में विश्व कविता में अब तक के सर्वोत्तम हस्ताक्षरों मे से एक मिर्जा गालिब पर एक लेखमाला की शुरुआत होगी। यह लेखमाला ख्यात युवा आलोचक डॉ. कृष्णमोहन द्वारा लिखी जायेगी। बस थोड़ा सा इंतजार...।
फिलहाल तो मनोज की उम्दा प्रेम कवितायें। एक एक कर के।
प्यार करता हुआ कोई एक...
लगे हाथ मन की एक बात आप सबसे बाँटना चाहूँगा - ब्लॉगिंग की शुरुआत करते हुए जरा भी अन्देशा नहीं था कि इतने गम्भीर साथी ‘नई बात’ से जुड़ते चले जायेंगे। किसी नये काम के शुरुआत में जिस विश्वास की जरूरत होती है वो भी आप सब से भरपूर मिला। सबका आभार। आज यह भी बताना चाहूँगा कि इस ब्लॉग पर कुछ ही दिनों में विश्व कविता में अब तक के सर्वोत्तम हस्ताक्षरों मे से एक मिर्जा गालिब पर एक लेखमाला की शुरुआत होगी। यह लेखमाला ख्यात युवा आलोचक डॉ. कृष्णमोहन द्वारा लिखी जायेगी। बस थोड़ा सा इंतजार...।
फिलहाल तो मनोज की उम्दा प्रेम कवितायें। एक एक कर के।
प्यार करता हुआ कोई एक...
भीतर ही भीतर जलती रहती है एक आग
जिसे भीतर का ही पानी धधकाता रहता है पल पल
हवायें चलती हैं तूफान से भी तेज
जिसे भीतर का ही पहाड़ रोकता है
कहीं बह रही होती है गर्म धारायें
उसी पल एक हिस्सा बदल रहा होता है बर्फ में
कहीं तैर रही होती है रौशनी
कहीं घिर रहा होता है अन्धेरा घुप्प
उसी पल एक हिस्सा बदल रहा होता है बर्फ में
कहीं तैर रही होती है रौशनी
कहीं घिर रहा होता है अन्धेरा घुप्प
भीतर बसते हैं अच्छे बुरे लोग
उनके भीतर बसती हैं अलग अलग दुनिया
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है
घूमती हुई पृथ्वी के उपर सबकुछ चल रहा होता है
उनके भीतर बसती हैं अलग अलग दुनिया
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है
घूमती हुई पृथ्वी के उपर सबकुछ चल रहा होता है
जस का तस।
..................................................मनोज पाण्डेय
लेखक सम्पर्क – chanduksaath@gmail.com
लेखक सम्पर्क – chanduksaath@gmail.com
12 comments:
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है.... गहरी अभिव्यक्ति। मनोज जी कविता की दुनिया में सुस्वागतम। आपकी कहानियाँ पढी हैं। चन्दू भाई नाटक करते हैं’ बहुत पसन्द आई थी। उम्मीद है कविता भी शानदार लिखेंगे।
मनोज कुमार पाण्डेयजी, आपकी कविता शानदार है
भीतर बसते हैं अच्छे बुरे लोग
उनके भीतर बसती हैं अलग अलग दुनिया
यह पंक्तियाँ अति उत्तम हैं.... मैं साहित्य से बहुत गहरा ताल्लुक नहीं रखती, इसलिए बहुत से अच्छे लेखक और कवी से अनजान हूँ, इस बात के लिए मैं चंदनजी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ कि वोह हमें नयी रचनाओं से परिचित कराते रहते हैं.....
आगे और उतना ही रिवर्स... आवेग... और लगातार दिमाग दौड़ती कविता ...
plz meaning bhi likh diya kariye mujhe samjh nai aaya
बहुत सुन्दर कविता है । विनोद जी को बधाई मिर्ज़ा गालिब का इन्तज़ार रहेगा धन्यवाद्
कविता शानदार है ..बधाई!!
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है
घूमती हुई पृथ्वी के उपर सबकुछ चल रहा होता है
जस का तस...
जैसे एक ग्रह के चारों ओर सभी उपग्रह चकार लगाते हैं ...!!
चक्कर ...
कविता और ब्लॉग की दुनिया में आपके एक साथ आमद का स्वागत और इस शानदार प्रेम कविता के लिए बधाई.
श्रीकांत दुबे
Sundar kavita ke liye manoj ko badhai. is kavita ko pehle bhi sunane ka saubhagya mila tha par yahan kuchh alag aur kuchh jyada chhoo gayi.
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है
घूमती हुई पृथ्वी के उपर सबकुछ चल रहा होता है
जस का तस।
bahut pyari kavita badhai...
प्यार करता हुआ कोई एक पूरी पृथ्वी होता है
घूमती हुई पृथ्वी के उपर सबकुछ चल रहा होता है
जस का तस।
bahut pyari kavita badhai...
CHARU
Post a Comment