ये खबर अभी किसी याद की तरह ताजा है कि कांग्रेस सरकार “जनहित” में लॉटरी की शुरुआत फिर से करने वाली है, इससे जुड़ा कोई महत्वाकांक्षी बिल संसद मे पेश करने वाली है। जिन राज्यों मे लॉटरी का कारोबार चलता है कभी उन लॉटरियों का विज्ञापन देखिये, वो कुछ इस तर्ज पर होते है:- महालक्ष्मी लॉटरी, खेले आप, विकसित होगा राज्य। ऐसे ऐसे तमाम विज्ञापन। उदाहरण के लिये अपना महाराष्ट्र। वहॉ ऐसे खेल इन्ही विज्ञापनों के सहारे फल फूल रहे हैं। इस खेल के पीछे कोई ना कोई मंत्री या दूसरा रसूखवाला ही क्यों होता है ये जान लेना हमारे आपके बस का नहीं है। हम तो इतने लाचार है कि चाह ले तब भी बर्बादी के इस खेल की पुन: वापसी रोक नहीं सकते।
पर क्या हम यह भी नहीं सोच सकते कि अपने जीवन मे हमने लॉटरी से जुड़ा क्या खेल देखा है? हमारे आपके जीवन में ऐसे पात्र जरूर हैं जिन्हे शराब या पैसे की तरह लॉटरी का नशा है या था।
लॉटरी से तबाह होने वालों को अपनी आंखो से देखा। मेरा एक मित्र था जिसने मुझे लॉटरी के नम्बर पकड़ना सिखाया था। उसका दिमाग इसमें खूब चलता था। बचपन में हम लॉटरी का स्टाल देखते थे और तमाम फंतासियॉ बुना करते थे। पर डर लगता था। उस उस समय कभी आजमाया नहीं और बाद में किस्मत जैसी चीजों का कोई मह्त्व नहीं रहा।
लॉटरी आपको कैसी लगती है? क्यों ना लॉटरी पर आपकी राय हम जाने? क्यों ना हम आपके शहर/कस्बे के उन लोगों के बारे मे जाने जो राज्य का विकास कर रही लॉटरी के चक्कर में बर्बाद हो गये और अपने आश्रितों को भी सड़क पर ला दिया? उनके बारे में जानना सुखद होगा जो लॉटरी से आबाद भी हुए, भले ही वो लाखों में एक क्यों ना हों?
अपन इतना तो कर ही सकते हैं कि इसे सम्भाल कर रखेंगे और जब इस वैज्ञानिक समझदारी वाले देश में जुये(लॉटरी) का जानलेवा खेल अखिल भारतीय स्तर पर शुरु होगा तब उन व्यवसायिओं को इसका पुलिन्दा बना कर भेजेंगे।
3 comments:
लाटरी तो इधर सब दूर चल निकली है.पहले आयोजिए.बाद में लाटरी से मतलब का चुन लीजिए.सट्टा या जुआ कबके पिछड़ गए.मेरे जान के एक पागल थे वो अपने अंतिम दिनों में अमिताभ बच्चन को ही जुआड़ी कहने लगे थे.मैं उन्हें देखकर दंग रह जाता था जब वे अपने बाल नोचकर कहते थे.अमिताभ बच्चन का माई बाप अमर सिंह नहीं होता तो उसे भीख की लाटरी निकलती.उनका पक्का भरोसा था इंडिया में ऐसे सट्टेबाज़ों को मात दे दो तो भारत के हिस्से समाजवाद की लाटरी निकल आएगी.मैं अमिताभ वच्चन का बड़ा प्रसंसक हूँ.इस कलाकार से आनेवाले वक्त के कलाकार सीखेंगे कि शिखर पर रहे आना असल प्रतिभा होती है.पर एक पागल का ग़ुस्सा मेरी बोलती बंद कर देता था.बाद में पता चला कि यह पागल मामूली नहीं था. सिविल सेवा परिक्षाओं में सामान्य अध्ययन के नब्बे प्रतिशत से ऊपर प्रश्न हल कर लेता था.वह यू पी एस सी के चारों मेंन्स निकालकर,साक्षात्कार में असफल होकर कुछ और नहीं बनने के अपने निर्णय के बाद पागल हुआ था.लोगों ने बताया कि स्लमडाग मिलेनियर फिल्म बनने के पहले उसने कह दिया था कि कौन बनेगा करोड़पति द्वारा किए जा रहे राष्ट्रीय अपराध पर फिल्म बने तो आस्कर जीत लेगी.चंदन आपकी लाटरी की बात से जाने क्यों मुझे यह पागल याद आ गया जिसे मैं प्यार करने लगा था.मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा हूँ कि मुझे विषयांतर के लिए माफ़ कर दिया जाए.इस बारे में मुझे कुछ और न बताना पड़े.साथ ही इस लाटरी प्रसंग से अकारण अमिताभ बच्चन का चरित्र हनन न हो.
जब मै सहरसा मे था तब वहाँ एक आदमी था, नाम तो याद नहीं, पर उसे शोले फिल्म के सारे डायलॉग याद थे और दो रुपये मे सुनाता था। फिर उस दो रुपये को लॉटरी टिकट खरीदने मे लगा देता था। उसकी बीवी किसी पान वाले के साथ बैठ गई थी। ऐसे तमाम बातें हैं जिन्हे सोचते ही मन उदास हो जाता है।
याद दिलाने का आपका तरीका पसन्द आया।
क्या इस बिल के बारे मे और सूचनायें दे सकते हैं आप?
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