नहीं,
नहीं है कुछ भी ऐसा मेरे पास
जो तुम्हे चाहिये
मुझे चाहिये
तुम्हारी निकुंठ हँसी से झरते बैंजनी दाने
तुम्हारे होठों के नीले फूल
अपने चेहरे पर तुम्हारी फिरोजी परछाईं
मुझे निहाल कर देगी
अपने भीतर कहीं छुपा लो मुझे
मेरा यकीन करो
जैसे रौशनी
और बरसात का करती हो
किसी पीले फूल
किसी जिद
किसी याद से भी कम जगह में बसर कर लूंगा मैं
अब जब तुम्हे ही मेरा ईश्वर करार दिया गया है
तो सुनो
मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिये
अथवा मृत्यु।
............................................सूरज
कवि से सम्पर्क – soorajkaghar@gmail.com
6 comments:
प्रेम से सराबोर एक सुंदर अभिव्यक्ति..बहुत बढ़िया लगा..धन्यवाद
i am speechless
इतना गहरा प्यार .. सुंदर अभिव्यक्ति !!
प्रेम में आस्था का दस्तावेज है सूरज की यह कविता। चंदन सूरज को सामने लाने के लिए तुम्हार आभार. उनकी कविताओं का रंग एकदम जुदा है
last para achha hai ........
gahan premanubhuti.
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