मर जाएगी कविता
कविता
मर जाएगी
अगर
उसे
तकलीफ न दो
लेकर के
गिरफ्त में, तोड़ना होगा
उसका दर्प सरेआम
फिर दिखेगा
क्या करती है वह।
..........
(मूल स्पेनिश से यह सुन्दर अनुवाद श्रीकांत का है. श्रीकांत को नई बात की ओर से स्नेहिल बधाई कि उनकी एक अच्छी कहानी “धरती के भीतर दिन रात खालीपन से भरा एक आसमान रहता था” नया ज्ञानोदय के जून अंक में प्रकाशित हुई है. नया ज्ञानोदय पत्रिका को इस लिंक http://jnanpith.net/ पर जाकर डाऊनलोड किया जा सकता है.)
12 comments:
श्रीकांत को मेरी भी बधाई.
हमारा यह मित्र लगातार सार्थक लिखा-पढ़ी कर रहा है- उसे इस तरह देखना पाना सुखद है.
इस बार का अनुवाद भी बढ़िया बस इतना लगा कि लेकर के बाद "के" न होता तो........क्या फ़र्क़ पड़ता?
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
पीछले पोस्ट में एक जातिवादी अज्ञात ने अपने फालतू कमेंट से कुछ परेसान किया... उसके बाद यह कविता... एक नई सुबह की तरह है.... चंदन तुम्हें ऐसे लोगो से सलाह की बात नहीं करनी चाहिए...हम कमेंट रैंक पाने के लिए नहीं कर रहे है...
श्रीकांत जी का अनुवाद पसंद आया.,
bahut khub
bahut khub
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
वाह!
इस कविता से अचानक मुझे धूमिल की ये कविता याद आ गयी जो मेरे दिल के बहुत करीब है.
धूमिल की याद दिलाने के लिए धन्यवाद् चन्दन!
शब्द किस तरह कविता बनते है उसे देखो,
अक्षरों के बीच
गिरे हुए आदमी को पढो,
क्या तुमने सुना है
की ये लोहे की आवाज है,
या मिटटी में गिरे हुए खून का रंग ?
लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो ,
उस घोड़े से पूछो
जिसके मुह में लगाम है .
--- धूमिल
दिलचस्प है......अनुवाद भी एक साध्य काम है .....
hamesha ki tarah fir se shrikant ka umda pryaas aur khubsurat kavita
adbhut....adbhut....adbhut.....uf kyaa kahun... main to chuppa hi ho gayaa hun....ise padhkar... sach.....!!!
good job....selection and translation both is admirable...carry on dear....
श्रीकांत को एक सार्थक काम के लिए बधाई .।
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