Saturday, June 5, 2010

निकानोर पार्रा की कविता - मर जाएगी कविता

मर जाएगी कविता

कविता
मर जाएगी
अगर
उसे
तकलीफ न दो


लेकर के
गिरफ्त में, तोड़ना होगा
उसका दर्प सरेआम


फिर दिखेगा
क्या करती है वह।

..........
(मूल स्पेनिश से यह सुन्दर अनुवाद श्रीकांत का है. श्रीकांत को नई बात की ओर से स्नेहिल बधाई कि उनकी एक अच्छी कहानी “धरती के भीतर दिन रात खालीपन से भरा एक आसमान रहता था” नया ज्ञानोदय के जून अंक में प्रकाशित हुई है. नया ज्ञानोदय पत्रिका को इस लिंक http://jnanpith.net/ पर जाकर डाऊनलोड किया जा सकता है.)

12 comments:

शिरीष कुमार मौर्य said...

श्रीकांत को मेरी भी बधाई.

हमारा यह मित्र लगातार सार्थक लिखा-पढ़ी कर रहा है- उसे इस तरह देखना पाना सुखद है.

इस बार का अनुवाद भी बढ़िया बस इतना लगा कि लेकर के बाद "के" न होता तो........क्या फ़र्क़ पड़ता?

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

shesnath pandey said...

पीछले पोस्ट में एक जातिवादी अज्ञात ने अपने फालतू कमेंट से कुछ परेसान किया... उसके बाद यह कविता... एक नई सुबह की तरह है.... चंदन तुम्हें ऐसे लोगो से सलाह की बात नहीं करनी चाहिए...हम कमेंट रैंक पाने के लिए नहीं कर रहे है...

Udan Tashtari said...

श्रीकांत जी का अनुवाद पसंद आया.,

Shekhar Kumawat said...

bahut khub

Shekhar Kumawat said...

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

Bodhisatva said...

वाह!
इस कविता से अचानक मुझे धूमिल की ये कविता याद आ गयी जो मेरे दिल के बहुत करीब है.
धूमिल की याद दिलाने के लिए धन्यवाद् चन्दन!

शब्द किस तरह कविता बनते है उसे देखो,
अक्षरों के बीच
गिरे हुए आदमी को पढो,
क्या तुमने सुना है
की ये लोहे की आवाज है,
या मिटटी में गिरे हुए खून का रंग ?
लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो ,
उस घोड़े से पूछो
जिसके मुह में लगाम है .
--- धूमिल

डॉ .अनुराग said...

दिलचस्प है......अनुवाद भी एक साध्य काम है .....

addictionofcinema said...

hamesha ki tarah fir se shrikant ka umda pryaas aur khubsurat kavita

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

adbhut....adbhut....adbhut.....uf kyaa kahun... main to chuppa hi ho gayaa hun....ise padhkar... sach.....!!!

kundan pandey said...

good job....selection and translation both is admirable...carry on dear....

आभा said...

श्रीकांत को एक सार्थक काम के लिए बधाई .।